शहर में पानी की बोतल बेचने वालों को अब निगम से लेना होगा लाइसेंस।
सप्लाई करने वाली कंपनियों को नगर निगम विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व epr के दायरे में लाएगा।
प्लास्टिक की बोतल में पानी बेचने वाली सभी कंपनी को लाइसेंस लेना होगा लाइसेंस में उन्हें बताना होगा कि कंपनी की तरफ से प्लास्टिक निस्तारण के लिए क्या किया जा रहा है।
EPR को लागू कराने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर नगर निगम का काम करेगा।
बोतल के अलावा सिंगल यूज़ प्लास्टिक में अपने प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनी को एपीआर लाइसेंस लेना होगा अनिवार्य।
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि नए नियमों में प्लास्टिक को 4 श्रेणियों में विभाजित किया गया है इन चार श्रेणियों के तहत प्लास्टिक की बोतल बेचने वाली कंपनी को कचरा निस्तारण का भी काम करना होगा नियमों के तहत उत्पादको आयातको और ब्रांड मालिकों को EPR के तहत लाइसेंस लेना होगा
कंपोजिट मशीन रखना होने जा रहा अनिवार्य
नगर आयुक्त ने बताया कि कूड़ा प्रबंधन के लिए बड़े सरकारी निजी और पीएसयू को अपने यहां से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण करने के लिए COMPOSITE मशीन लगाने के लिए अनिवार्य करेगा।
नगर निगम में सफाई को लेकर सर्वे करवाया गया है जिसमें 30% कूड़ा सेंट्रल और पीएसयू से 30% कार्य स्थानों से 30% घरों से और 10% शहरों में कूड़ा हॉर्टिकल्चर के जरिए हो रहा है इस सर्वे के बाद ही कम मशीन मशीन रखना अनिवार्य किया जाएगा
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