दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार हो गए हैं। सीबीआई ने करीब 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद आम आदमी पार्टी के नेता और शिक्षा मंत्री को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी सबूतों को नष्ट करने के आरोप में की गई है।
आम आदमी पार्टी के नेता एवं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तारी हो गई है। सीबीआई ने 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। सिसोदिया की यह गिरफ्तारी सबूतों को नष्ट करने के आरोप में हुई है। सिसोदिया को सोमवार को दोपहर में अदालत में पेश किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के अधिकारियों ने आबकारी नीति के विभिन्न पहलुओं, दिनेश अरोड़ा और अन्य आरोपियों के साथ उनके कथित संबंधों और कई फोन से संदेशों के आदान-प्रदान के विवरण सहित अन्य मुद्दों पर मंत्री से पूछताछ की। सीबीआई जांचकर्ता सिसोदिया के जवाब से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार किया गया।
दोपहर में लंच करने नहीं जाने दिया
इससे पहले पूछताछ के दौरान दोपहर में सिसोदिया को घर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। उस समय ही सिसोदिया की गिरफ्तारी की आशंका जताई जाने लगी थी। सिसोदिया सुबह करीब 11.10 बजे सीबीआई कार्यालय में पूछताछ के लिए पेश हुए थे। इससे पहले भी सिसोदिया को पिछले रविवार को पूछताछ के लिए बुलाया था। लेकिन बजट की तैयारियों का हवाला देते हुए उन्होंने इसे टालने का अनुरोध किया था। इसके बाद, सीबीआई ने उन्हें 26 फरवरी को पेश होने को कहा था। वहीं पूछताछ से पहले खुद सिसोदिया ने भी खुद की गिरफ्तारी की आशंका जताई थी।
शराब नीति से डीलरों को हुआ फायदा
इससे पहले सीबीआई ने सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ दिनेश अरोड़ा के इकबालिया बयान, साउथ लॉबी के कथित सदस्यों और नीति को अपने पक्ष में कराने वाले नेताओं व शराब कारोबारियों के समूह से मिली जानकारी के आधार पर उपमुख्यमंत्री से विस्तृत पूछताछ की। आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने की दिल्ली सरकार की नीति से कुछ डीलरों को फायदा पहुंचा। आरोप है कि इन लोगों ने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी। हालांकि, आम आदमी पार्टी ने इस आरोप का खंडन किया था। सीबीआई के अनुसार यह भी आरोप है कि आबकारी नीति में बदलाव, लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ देना, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, अनुमोदन के बिना एल-1 लाइसेंस का विस्तार आदि सहित अनियमितताएं की गईं।