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निकाय अध्यक्षों को मिली राहत टेंडर समितियों से बाहर करने का शासनादेश हुआ वापस

 

मेयर विकास शर्मा और पालिकाध्यक्षों के अधिकार छीनने का शासनादेश निरस्त हो गया है। शहरी विकास अनुभाग ने नया आदेश जारी किया। निकायों की टेंडर समितियों से अध्यक्षों को बाहर करने का शासनादेश वापस हो गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर शहरी विकास अनुभाग ने पुराने शासनादेश को निरस्त कर नया शासनादेश जारी कर दिया है। इससे निकाय अध्यक्षों ने राहत की सांस ली है। महापौर विकास शर्मा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया है।

शहरी विकास विभाग ने दो मई को शासनादेश जारी कर निकायों की टेंडर कमेटी से निकायों के मेयर और अध्यक्षों को बाहर कर दिया था। नये शासनादेश में कहा गया था कि निकायों में होने वाले निर्माण कार्यों, सामग्री खरीदने सहित अन्य कार्यों के लिए समितियों का गठन किया जाए।

समितियों में संबंधित निकायों के नगर आयुक्त/अधिशासी अधिकारी समिति के अध्यक्ष और मुख्य कोषाधिकारी या कोषाधिकारी इसके सदस्य होंगे। इसमें मेयर व नगर पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्षों को शामिल नहीं किया गया। इस शासनादेश को लेकर अंदरखाने निकाय अध्यक्षों में नाराजगी थी।

बीते सात मई को रुद्रपुर के महापौर विकास शर्मा की अगुवाई में निकाय अध्यक्षों के प्रतिनिधि मण्डल ने देहरादून में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर शासनादेश वापस लेने और पुरानी व्यवस्था बहाल करने का अनुरोध किया था। इस पर मुख्यमंत्री ने शासनादेश को निरस्त करने के आदेश दिये थे।

महापौर शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को शासन के शहरी विकास अनुभाग ने नया शासनादेश जारी कर पुराने शासनादेश को निरस्त कर दिया है। अब समितियों के गठन के सम्बंध में पूर्व में निर्गत शासनादेश यथावत लागू रहेगा। उन्होंने कहा कि नये शासनादेश से निकायों के जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन हो रहा था। मुख्यमंत्री धामी ने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दिया है।

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