जले हुए शव ओर फिर राख में बदल गए सपने 44 जवानों ने किया रेस्क्यू पूरा
हेलिकॉप्टर क्रैश में मारे गए सात यात्रियों में छह के शव बुरी तरह से जल चुके थे, जिनकी शिनाख्त कर पाना भी मुश्किल था। रेस्क्यू अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस सहित अन्य जवानों ने अहम भूमिका रही
धुंआ चीखें और राख केदारनाथ की शांत घाटी एक बार फिर चीख उठी। हेलिकॉप्टर हादसे में कई घरों का सुकून उजड़ गया। 23 महीने की मासूम काशी, फैशन डिजाइनिंग की छात्रा तुष्टि, अपने बच्चों के इंतजार में लौट रहे विक्रम, और दो महीने पहले जुड़वा बच्चों के पिता बने पायलट… सबकी यात्राएं वहीं थम गईं। मां की ज़िद पर नानी संग गई तुष्टि अब कभी वापस नहीं आएगी। धुएं और राख के बीच 44 जवानों ने सात जले हुए शवों को उठाया, लेकिन जख्म इतने गहरे हैं कि पूरा केदारनाथ फिर से सिसक पड़ा है।
हेलिकॉप्टर हादसे के बाद चले रेस्क्यू अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस सहित अन्य जवानों ने अहम भूमिका निभाई। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि सुबह 6.15 बजे घटना की सूचना मिलने के बाद उन्होंने सभी रेस्क्यू दल को मौके के लिए रवाना कर दिया था। लगभग एक घंटे के भीतर मौके पर पहुंच गए थे। उन्होंने बताया कि रेस्क्यू अभियान में एनडीआरएफ के 22, एसडीआरएफ के 8, डीडीआरएफ के 6 और पुलिस के 8 जवानों ने अहम भूमिका निभाई। सभी शवों को दुर्गम रास्ते से गौरीकुंड पहुंचाया गया।