2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी थी सरिता आर्य और उनके सामने थे भाजपा प्रत्याशी संजीव आर्य
तब मोदी लहर में संजीव आर्य ने सरिता आर्य को 7 हजार से अधिक मतों से हराया था इस बार चुनावी समीकरण बदल चुके हैं संजीव आर्य जहां पिता यशपाल आर्य के साथ पार्टी छोड़कर कांग्रेस में घर वापसी कर चुके हैं वही सरिता आर्य कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुकी है जिसके संभावना जताई जा रही है कि दोनों ने टिकट के शर्तों पर ही दलों को ज्वाइन किया है ऐसे में इस बार सीट वही हो सकती है चेहरे वही हो सकते हैं लेकिन दल बदल जाएंगे
बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में काफी उथल-पुथल मची थी। 2016 में जहां हरक सिंह रावत कई विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे वहीं एक साल बाद 2017 में चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य ने बेटे संजीव आर्य के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। जिसके बाद भाजपा ने संजीव आर्य को नैनीताल से मैदान में उतार दिया। यशपाल अपनी बाजपुर सीट से ही भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे। तब कांग्रेस ने अपनी निवर्तमान विधायक सरिता आर्य को ही संजीव के खिलाफ मैदान में उतारा। मोदी लहर में पिता-पुत्र दोनों की नैया पार लगी। संजीव आर्य ने सात हजार से अधिक मतों से सरिता आर्य को हराया। वहीं कुछ महीने पहले जब यशपाल और संजीव ने कांग्रेस में वापसी की तो सरिता ने बगावती रुख दिखाते हुए साफ कर दिया था कि नैनीताल सीट से कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह भाजपा ज्वाइन करने में चूकेंगी नहीं।