उत्तराखंड में जहां सरकारी अस्पतालों के खस्ता हालत चलते मरीजों को निजी अस्पताल में रेफर किया जाता है तो वही निजी अस्पताल अपनी मनमानी के लिए आए दिन सुर्खियों में रहते हैं । राजधानी देहरादून के पेनेसिया अस्पताल में 8 दिन पहले मजदूरी करने वाले श्याम की पत्नी को दून अस्पताल से रेफर किया गया था,
जिसके बाद रिस्पना स्थित पेनेसिया अस्पताल में श्याम की पत्नी का इलाज किया जा रहा था,, तीमारदारों का आरोप है कि पेनेसिया अस्पताल उनके साथ कॉर्पोरेट नहीं कर रहा है और ना ही मरीज की कोई सूचना दी जा रही, शायम ने कहा कि डॉक्टरों ने कहा कि मरीज की हालत बेहद गंभीर है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है,,, परिजनों का ये भी आरोप है कि 8 दिन से ललिता को वेंटिलेटर पर रखा गया है
उनका कहना है की ललिता की मौत हो चुकी है लेकिन अस्पताल प्रशासन परिजनों को इसकी सूचना नहीं दे रहा और अस्पताल की तरफ से कहा जा रहा है कि जब तक मरीज के इलाज की पूरी रकम जमा नहीं हो जाती वह उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज नही करेंगे। वही इस बात को लेकर जब मीडिया ने राज्य के स्वास्थ्य महानिदेशक शैलजा भट्ट से दूरभाष पर संपर्क किया तो उन्होंने इस मामले को सीएमओ देहरादून के हवाले कर दिया। वही ललिता के पति शाम का कहना है कि
वह मजदूरी कर कर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं उनके पास इतनी रकम नहीं है कि वे अस्पताल का खर्चा उठा सकें । श्यामा का कहना है कि उनकी पत्नी का बाइक से गिरने पर सिर के पिछले हिस्से में चोट लगी थी जिसके बाद ललिता को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से एंबुलेंस के जरिए उन्हें निजी अस्पताल भेजा गया, अस्पताल पहुंचने के बाद इलाज तो शुरू हो गया लेकिन 8 दिनों में एक लाख से ज्यादा का बिल बना शायम को थामा दिया जिसे देने में शायम असमर्थ हैं। वहीं जब अस्पताल के एमडी रणबीर चौहान से मीडिया ने मामला जानना चाह तो उन्होंने मीडिया को धमकाते हुए कोर्ट में जवाब देने को कहा।