मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। उनके निधन से सपाइयों में शोक की लहर दौड़ गए। शोक जताते हुए काफी संख्या में सपाई दिल्ली और सैफई के लिए रवाना हो गए। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि ना केवल सपाई बल्कि विरोधी दल के लोग भी उनके मुरीद थे।
सियासी खांटी नेता मुलायम सिंह यादव का मिजाज कुछ ऐसा था कि वह मंच से ही कार्यकर्ता को आवाज लगाकर हौसला अफजाही कर देते थे। कई बार बैठक, सम्मेलन में आते और कोई नदारद मिलता तो पूछ बैठते, फलां आदमी कहां रह गया। वो दौर अलग था, मोबाइल नहीं आया था तो कई मर्तबा पुलिस घर से कार्यकर्ता को लेने पहुंचती थी। राम मंदिर आंदोलन और 2008 में बसपा के सत्तासीन होने पर मेरठ में ही नब्ज टटोली थी और यहीं चुनावी रणनीति भी बनाई थी। मेरठ से उनका खासा लगाव था। वेस्ट यूपी की सियासत को यहीं से मथा जाता था।
मुलायम सिंह यादव 5 दिसंबर 1989 को प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और 13 दिसंबर को सीएम बनने के बाद पहली बार मेरठ आए थे। राज्यपाल संग कार्यक्रम में वह आरवीसी सेंटर में आए थे। पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री मोहम्मद अब्बास की भतीजी और बेटी की शादी में है मेरठ आए थे। 17 दिसंबर 2014 और 21 दिसंबर 2016 को वह अंतिम बार दिल्ली रोड स्थित वीनस गार्डन में शादी समारोह में शिरकत करने आए थे। उनके निधन की खबर इस