प्रदेश में विकास और निर्माण परियोजनाओं की गुणवत्ता और मार्केटिंग के लिए,,विशेषज्ञों की सहायता लेने की तैयारी
प्रदेश में विकास और निर्माण परियोजनाओं की गुणवत्ता और मार्केटिंग के लिए बड़े पैमाने पर विशेषज्ञों की सहायता लेने की तैयारी है। विभागों को विषय विशेषज्ञों को रखने की छूट दी गई है। आवश्यकता के अनुसार विभागाध्यक्ष के स्तर पर एक और शासन स्तर पर दो विषय विशेषज्ञ अनुबंध पर रखे जा सकेंगे। शासन ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
प्रदेश सरकार वर्ष 2025 तक सशक्त उत्तराखंड की संकल्पना जमीन पर उतारने में जुटी है। विभागों को नए पूंजी निवेश को आकर्षित करने के लिए कहा गया है। अवस्थापना विकास, रोजगार, स्वरोजगार से जुड़ी ऐसी परियोजनाओं के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है कि राज्य की आर्थिकी को मजबूती मिल सके। इसे ध्यान में रखकर परियोजनाओं के निर्माण, अनुश्रवण और मार्केटिंग के लिए विषय विशेषज्ञों की सहायता ली जाएगी। नियोजन विभाग की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है।
अधिकतम तीन वर्ष के लिए तैनाती
नियोजन अपर सचिव योगेंद्र यादव ने बताया कि आउटसोर्स के माध्यम से शासन स्तर पर कार्यरत अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव या प्रभारी सचिव दो विषय विशेषज्ञ रख सकेंगे। विभागाध्यक्षों के लिए एक विषय विशेषज्ञ रखने का निर्णय लिया गया है। विषय विशेषज्ञों की योग्यता का निर्धारण संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव अपनी आवश्यकता के अनुसार कर सकेंगे। नियत मानदेय पर आवश्यकता के अनुसार अधिकतम तीन वर्ष के लिए उनकी तैनाती होगी।
विशेषज्ञों का खर्चा उठाएंगे विभाग
शासन स्तर पर रखे जाने वाले दो विषय विशेषज्ञों में एक का अधिकतम मानदेय तीन लाख रुपये और एक का अधिकतम मानदेय एक लाख रुपये प्रतिमाह रखा जा सकेगा। निदेशालय स्तर पर विभागाध्यक्ष के लिए एक विषय विशेषज्ञ के लिए अधिकतम मानदेय दो लाख रुपये प्रतिमाह होगा। इन विशेषज्ञों के मानदेय पर होने वाले खर्च का भुगतान संबंधित विभाग के कार्यालय या अधिष्ठान मद से किया जाएगा। आवश्यकता नहीं होने पर विशेषज्ञों की सेवाएं तत्काल समाप्त की जा सकेंगी। अपर सचिव नियोजन के अनुसार विशेषज्ञों की तैनाती से राजकीय कार्यों में पारदर्शिता, गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा और गति प्रदान करने में सहायता मिलेगी।