सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बुधवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ टकराव खत्म करने में आंशिक सफलता जरूर मिली है, लेकिन इसके बावजूद पूरी उत्तरी सीमा पर खतरा किसी तरह से कम नहीं हुआ है। इनके मद्देनजर ही सेना ने सीमा पर अपनी आपरेशनल तैयारियां सर्वोच्च स्तर पर रखी हुई हैं और हम चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का पूरी दृढ़ता और ताकत से मुकाबला करने में सक्षम हैं।
संघर्ष हुआ तो जीतेंगे
पूर्वी लद्दाख के इलाकों में जारी सैन्य गतिरोध के बातचीत से हल की उम्मीद जताते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि अगर संघर्ष ही अंतिम उपाय हुआ तो निसंदेह हम विजयी होंगे। सेना दिवस से पूर्व अपनी सालाना प्रेस कांफ्रेंस में जनरल नरवणे ने पूर्वी लद्दाख के साथ ही चीन से लगी समूची उत्तरी सीमा की मौजूदा स्थिति को लेकर खुलकर बात की।
उच्च स्तर पर सेना की तैयारियां
सना प्रमुख ने कहा कि सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के जरिये टकराव के कुछ इलाकों में तनातनी खत्म करने में थोड़ी सफलता मिली है लेकिन यह किसी तरह खतरों को कम नहीं करता इसीलिए सेना ने समूची उत्तरी सीमा पर न केवल अपनी आपरेशनल तैयारी को सर्वोच्च स्तर पर रखा है बल्कि सैनिकों की तैनाती का समायोजन भी इसी हिसाब से किया गया है।
भारतीय सेना पूरी तरह तैयार
चीन के नए विवादित सीमा कानून की चुनौतियों से जुड़े सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि हमारे लिए इसकी कोई कानूनी बंदिश नहीं है और इसकी सैन्य जटिलताओं से निपटने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है। हम टकराव के शांतिपूर्ण हल के हिमायती हैं, मगर चीनी सेना की चुनौतियों से पूरी दृढ़ता और प्रतिबद्धता से निपटते भी रहेंगे।
सेना तैयार
चीनी सेना को माकूल जवाब देने की पुख्ता तैयारी का साफ संदेश देते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि टकराव की जो स्थिति हम पर थोपी गई, उससे निपटने के लिए सेना आज कहीं ज्यादा तैयार है।
भारत भी कर रहा ढांचागत निर्माण
एलएसी के निकट चीन के लगातार सैन्य ढांचों से लेकर पुल आदि के निर्माण से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने भी पूरी उत्तरी सीमा पर न केवल 25,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में सड़कें, पुल, सैन्य साजो-समान रखने के लिए ढांचागत निर्माण किए हैं और इस मामले में हम उनके समान काम कर रहे हैं।
सीमा पर ही रहेगी सेना
एलएसी के निकट बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती क्या पूर्वी लद्दाख में स्थायी स्थिति बन जाएगी? जनरल नरवणे ने कहा कि यह हालात स्थायी रहेंगे या नहीं, यह देखना होगा। पहले टकराव के बिंदुओं से सैनिकों की वापसी कराकर भरोसा बहाल करना होगा और फिर तनाव घटाने व सैनिकों के स्थायी बैरकों में जाने की बात आएगी। तब तक हमें अपनी सेना को वहां रखना ही होगा।
नतीजे की उम्मीद करना मुनासिब नहीं
भारत-चीन के कमांडरों के बीच बुधवार को 14वें दौर की वार्ता का नतीजा निकलने के सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि अच्छा है कि टकराव का हल निकालने के लिए वार्ता चल रही है। चौथे, पांचवें, नौवें, 10वें और 12वें दौर की वार्ता में सार्थक नतीजे निकले, मगर हर दौर की वार्ता में नतीजे की उम्मीद करना मुनासिब नहीं।