आयुष मंत्री ने निदेशकों को अस्पतालों में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता के लिए रणनीति बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके मद्देनजर निदेशकों ने जिला स्तरीय अधिकारियों से दवाओं को ब्योरा मांगा है।
उत्तर प्रदेश भर के आयुष अस्पतालों से दवाओं का ब्योरा मांगा गया है। इसी आधार पर अगले सत्र के लिए दवाएं खरीदी जाएगी। वहीं हर अस्पताल को मौसमी बीमारियों से जुड़ी दवाएं पर्याप्त मात्रा में रखने के निर्देश दिए गए हैं। जिन अस्पतालों में छह माह बाद एक्सपायर होने वाली दवाएं अधिक हैं, उन्हें जरूरत के मुताबिक दूसरे अस्पतालों में भेजने के लिए कहा गया है।
आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु ने आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथिक निदेशकों को अस्पतालों में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता के लिए रणनीति बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके मद्देनजर निदेशकों ने जिला स्तरीय अधिकारियों से दवाओं को ब्योरा मांगा है। इसमें यह भी बताने के लिए कहा गया है कि संबंधित क्षेत्र में किन दवाओं की मांग अधिक हैं और उसकी उपलब्धता की क्या स्थिति है। इसके आधार पर अस्पतालों में दवाओं की मांग और उपलब्धता का रिकॉर्ड तैयार होगा। बाद में उसी हिसाब से अगले सत्र में दवाओं की आपूर्ति की जाएगी। इस रणनीति से दवाओं को एक्सपायर होने से भी बचाया जाएगा।
आयुर्वेद निदेशक प्रो. पीसी सक्सेना ने बताया कि किसी भी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में दवाओं की कमी नहीं है। इसी तरह यूनानी निदेशक प्रो. अब्दुल वाहिद ने बताया कि यूनानी अस्पतालों में जहां कोई दवा अधिक है, उसे दूसरे अस्पताल में भेजा जा रहा है।
आयुष अस्पतालों में दी जा रहीं मुफ्त में दवाएं
आयुष अस्पतालों में दवाएं मुफ्त दी जा रही हैं। होम्योपैथिक निदेशक डॉ. अरविंद वर्मा ने बताया कि डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया सहित अन्य बीमारियों में जिन मरीजों ने होम्योपैथिक दवाएं ली हैं, उन्हें बीमारी होने के बाद भी प्लेटलेट्स गिरने सहित अन्य समस्याएं नहीं हुई हैं। इसी तरह सर्दी के मौसम में होने वाले विभिन्न बीमारियों से संबंधित प्रिवेंटिव दवाएं भी अस्पताल में मौजूद हैं। इन्हें लक्षण के आधार पर लिया जा सकता है।
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