: मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी पूरा जोर लगाए हुए है। एक तरफ भाजपा चुनावी मैदान में जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश में है। सपा अपने आधार को खोजती दिख रही है।
Mainpuri Loksabha Byelection 2022: सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव में कई रंग दिख रहे हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली बार लोकसभा उप चुनाव को इतना सीरियसली ले रहे हैं। सीरियसली ही नहीं ले रहे, बल्कि बूथ स्तर के सम्मेलनों तक में पहुंच रहे हैं। माहौल बना रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी की ओर से सपा के माय समीकरण की काट में तमाम जातीय वोट बैंक को एक तरफ करने की कवायद चल रही है।
ऐसे में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और क्षेत्र को लेकर किए गए कार्यों को गिनाकर वोट मांग रहे हैं। रविवार को किशनी विधानसभा सीट पर अखिलेश जब पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ। एक समर्थक हाथ में गदा लिए हुए दिखा। वहीं, दूसरा समर्थक मुलायम सिंह यादव की तस्वीर लिए हुए। गुलाब की पंखुड़ियों की बरसात होती रही।
अखिलेश यादव मैनपुरी में वोट बैंक को एकजुट करने की कवायद में जुटे हैं। डिंपल यादव के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। इस दौरान वे अपने माय (मुस्लिम + यादव) समीकरण में किसी प्रकार का बिखराव न होने देने की बात कर रहे हैं। साथ ही, अन्य जातियों को मुलायम सिंह यादव के काम, नाम और प्रतिष्ठा के आधार पर जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
अखिलेश यादव का जगह-जगह स्वागत हो रहा है। हर चौराहे पर खड़े लोगों को देखकर अखिलेश का काफिला रुकता है। माला से लेकर हर सम्मान स्वीकार करते हैं। मुलायम सिंह यादव को याद करते हैं। उनकी प्रतिष्ठा का चुनाव बताते हैं। फिर काफिला आगे बढ़ता है।
डिंपल यादव भी लगातार सभाएं कर रही हैं। मुलायम सिंह यादव की बहू के साथ वे खुद को पूरे मैनपुरी की बहू बताती हैं। सिर पर आंचल और हर बड़े का सम्मान करती दिखती हैं। उनका अंदाजा लोगों को खूब पसंद आ रहा है। सभाओं में वे मुलायम और अखिलेश सरकार के कार्यों, कार्यक्रमों का भी जिक्र करती हैं।
मैनपुरी के मैदान में शिवपाल यादव के साथ आने से स्थिति में बदलाव हुआ है। शिवपाल यादव और अखिलेश के बीच के मनमुटाव की खबरें खूब चल रही थीं। लेकिन अब दोनों नेताओं ने पुरानी बातों को भुलाकर एक मंच से डिंपल के लिए वोट मांगा है। मैनपुरी में लोग परिवार को एकजुट होने की बात करते दिख रहे हैं।
समाजवादी पार्टी लोकसभा उप चुनाव में भाजपा की चुनौती को मात देने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा ने मैनपुरी के लिए अलग ही रणनीति बनाई है। सीएम योगी आदित्यनाथ को छोड़ दें तो अब तक मैनपुरी के मैदान में तमाम सीनियर नेता उतर चुके हैं। जातीय आधार रखने वाले नेताओं को इन पॉकेटों में भेजा गया है। ग्राउंड लेवल पर भाजपा के कार्य को सपा अपनी बदली रणनीति से भेदने की कोशिश कर रही है।