हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा है लगाएगी हैट्रिक या इस बार कांग्रेस दोहराएगी 15 साल पुराना इतिहास
हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा है लगाएगी हैट्रिक या इस बार कांग्रेस दोहराएगी 15 साल पुराना इतिहास सबसे ज्यादा मतदाताओं वाली हरिद्वार सीट पर प्रत्याशियों के सामने चुनौतियां भी अपार हैं। इस सीट से मैदान में 14 प्रत्याशी हैं। बसपा और निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। गंगा तीर्थ, चारधाम यात्रा, महाकुंभ, शक्तिपीठ मां मनसा देवी-चंडी देवी, हरकी पैड़ी और भेल के साथ-साथ योग-आयुर्वेद और अध्यात्म नगरी के तौर पर दुनियाभर में पहचान रखने वाले हरिद्वार की लोकसभा में चुनावी शोरगुल अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है।
यह लोकसभा सीट यूं तो कई मायने में जुदा है लेकिन यूपी से मिलती सीमाएं, राजनीतिक समीकरण, भाजपा-कांग्रेस के बीच खींचतान इसे अलग बनाती है। इस बार प्रदेश में सबसे ज्यादा मतदाताओं वाली इस सीट पर मुकाबला काफी रोचक है। कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं।
भाजपा ने जहां अपने अनुभवी व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरे के तौर पर वीरेंद्र रावत पर दांव लगाया है। 1977 से लेकर 2019 तक इस सीट पर भाजपा सर्वाधिक छह बार, एक बार बीएलडी, एक बार जेएनपी-एस और एक बार समाजवादी पार्टी जीत दर्ज कर चुकी है। आखिरी बार कांग्रेस ने 2009 में यहां जीत दर्ज की थी। अब सवाल ये है कि क्या भाजपा इस बार यहां जीत की हैट्रिक लगाएगी या कांग्रेस 15 साल पुराना इतिहास दोहराएगी।
हरिद्वार लोकसभा सीट के अंतर्गत 14 विधानसभा आती हैं। इनमें 11 हरिद्वार जिले की और तीन देहरादून जिले की हैं। हरिद्वार की 11 में से तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा, पांच पर कांग्रेस, दो पर बसपा व एक पर निर्दलीय का कब्जा है। वहीं, देहरादून जिले की धर्मपुर, डोईवाला और ऋषिकेश सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। भाजपा ने लगातार दो चुनावों में 50 प्रतिशत से ऊपर वोट हासिल कर सांसद बने डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के बजाए इस बार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है। वहीं, मैदानी लोकसभा की जंग में कांग्रेस ने 2009 में यहां से सांसद रहे राज्य के पूर्व सीएम हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत पर दांव खेला है। हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत इस लोकसभा से 2014 का चुनाव हार चुकी हैं। उनके पास 15 साल पुराना इतिहास दोहराने की चुनौती है।