सतीश तायल के भरोसे थाना भवन में कमल खिलायेगी बीजेपी निकाय चुनाव में संयोजक की जिम्मेदारी मिली सतीश को
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है इसी के साथ भारतीय जनता पार्टी अपनी मेहनत में जुट गई है भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष निकाय चुनाव जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं इसी को लेकर सबसे ज्यादा प्रदेश अध्यक्ष की नजर पश्चिम उत्तर प्रदेश के शामली जनपद में है और शामली जनपद की थानाभवन नगर पंचायत इस समय प्रदेश की सबसे हॉट सीट में से एक है क्योंकि आज तक भारतीय जनता पार्टी यहां अपना परचम नहीं लहरा पाई है इसी के साथ में पार्टी ने अपने बहुत ही पुराने और वफादार सतीश तायल पर कस्बे में कमल खिलाने का भरोसा जताया है और अगर देखा जाए तो कस्बे में अब तक कोई भी प्रत्याशी ऐसा नहीं दिख रहा है बीजेपी को जिस पर वह दांव खेल सके लेकिन कस्बे का गणित कुछ और ही कहता है क्योंकि कस्बे में अगर हिंदू प्रत्याशी को चुनाव जीतना है तो दलित वोटों को साधना पड़ेगा अगर कस्बे में दलित वोट बैंक को कोई साथ ला सकता है तो वह जनरल प्रत्याशी संजय कुमार शर्मा है संजय कुमार शर्मा 2012 में निर्दलीय निकाय चुनाव जीते थे उसके बाद संजय कुमार शर्मा ने 2017 में भी महिला सीट होने की वजह से अपनी पत्नी को निकाय चुनाव लड़वाया था जिसमें संजय शर्मा की पत्नी अंजली शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व चेयरमैन इंतजार अजीज की पत्नी रफत प्रवीण से चुनाव हार गई थी हार का अंतर लगभग 3000 वोटों का रहा था क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में स्वर्गीय नरेंद्र सैनी की पत्नी अनिता सैनी को अपना प्रत्याशी बनाया था अब इसी के साथ अगर कस्बे में देखा जाए तो वर्तमान की स्थिति में अगर जनरल सीट आती है तो संजय कुमार शर्मा ही मजबूत प्रत्याशी देखे जा रहे हैं लेकिन बीजेपी से और भी कई प्रत्याशी टिकट मांग रहे हैं वहीं अगर पिछड़ा वर्ग की बात देखी जाए तो पिछड़ा वर्ग में कश्यप समाज से संजय कश्यप बीजेपी से टिकट के दावेदार हैं जहा तक देखा जाए कस्बे में पिछड़ा वर्ग भी चेयरमैन बनाने में अपनी अहम भूमिका रखता है वही अनुसूचित जनजाति में भी बीजेपी के कई दावेदार हैं लेकिन फिलहाल कोई भी दावेदार मजबूत स्थिति में नहीं है अगर बात करें तो बहुजन समाज पार्टी किसी मुस्लिम चेहरे पर अपना दांव खेल सकती है अगर देखा जाए तो कस्बे में समाजवादी पार्टी और लोकदल का कोई जनाधार नहीं है इसी के देखना होगा कस्बे का निकाय चुनाव किस और मोड़ लेता है